Tuesday, August 23, 2011

द ग्रेट अन्ना शो

अन्ना अनशन पर बैठे हैं


अवाम सड़कों पर उतर आई है

और , मंत्री अपने घरों में घिर गए हैं


ये इसलिए हुआ क्योंकि ..इससे पहले कि सरकार एक अन्ना से निबटने की तैयारी कर पाए, अन्ना ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का नेतृत्व अवाम के हाथ में सौंप दिया। नतीजा ये कि अब गांव गांव शहर शहर और घर घर में अन्ना हैं। ऐसा लगता है कि देश को भ्रष्टाचार से लड़ने का शार्टकट मिल गया है। टेलीविजन की दुनिया के लिए ये नया रियलिटी शो है, जो महज आधे घंटे नहीं,  द ट्रमन शो


की तरह पूरे  चौबीसो घंटे जारी है। इस शो में बॉलीवुड़ के सितारे, उमेश सारंगी जैसे प्रशासनिक अधिकारी और भय्यू जी महाराज से लेकर श्री श्री रवि शंकर जैसे संत और आध्यात्मिक गुरु भी किरदार निभा रहे हैं। नतीजा ये हुआ है कि अब तक कोई नृप होउ हमें का हानि मानसिकता वाले लोगों को भी एकाएक नजर आने लगा है कि वो इतिहास के एक अनोखे मोड़ पर खड़े हैं जहां सरकार के खिलाफ अवामकी सबसे मुश्किल जंग को बस उनके हिस्से की भागीदारी की दरकार है। जिन्हें हर रोज भ्रष्टाचार का सामना करने की आदत पड़ी है, उन्हें भी लगने लगा है कि अन्ना के समर्थन में रैली करके वो बहादुरी और साहस की अनूठी मिसाल कायम कर रहे हैं। जिनमें अन्ना की तरह आमरण अनशन करने का माद्दा नहीं वो भी रैली और धरने में शामिल होकर देश के लिए फर्ज पूरा करने के एहसास से लबरेज हो रहे हैं। लेकिन रैली और धरने, अनशन और आंदोलनों से अलग भी एक दुनिया है। ये वो दुनिया है जहां अगर आप रिश्वत देने से इनकार करते हैं तो रिश्वत लेनेवाला इसकी रत्ती भर भी परवाह नहीं करता, वो जानता है कि कई लोग उसे रिश्वत देने के लिए अब भी कतार में लगे हैं। क्या जनलोकपाल बिल इस कतार को कम कर पाएगा। आखिर में सच तो यही है कि जनलोकपाल बिल एक कानून ही तो है, कुछ उसी तरह जैसे दहेज रोकने के लिए कानून हैं, जन्म लेनेवाली बच्चियों को पैदा होने से रोकने के खिलाफ कानून हैं और हां प्रीवेन्शन ऑफ करप्शन एक्ट भी है जो पीएम से लेकर सीएम तक हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक के हर जज पर लागू होता है। अन्ना का आंदोलन आजादी के बाद का सबसे बड़ा जनआंदोलन है लेकिन इसके बाद भी हकीकत ये है कि इस आँदोलन से बमुश्किल पचास लाख लोग ही अब तक जुड़े हैं जबकि जिस सरकार के खिलाफ ये आंदोलन है उसको महज दो साल पहले देश के 15 करोड़ तीस लाख लोगों ने वोट दिया था।


भ्रष्टाचार के खिलाफ अवाम का जागना जरुरी है, लेकिन क्या एक स्वस्थ लोकतंत्र में इसके लिए रैली , धरना और अनशन ही उपाय है, क्या इसकी शुरुआत अपने घर और दफ्तर से नहीं हो सकती।

1 comment:

Madhaw said...

कमाल का है... इतने सुंदर तरीके से अन्ना की ब्रांड इमेज को आप ही प्रदर्शित कर सकते थे